बचपन से हम अंधविश्वास शब्द को सुनते आ रहे है । और पिछले कुछ 7-8 वर्षों से हमे अंधभक्त शब्द भी कुछ ज्यादा ही सुनने को मिल रहा है । अकसर यह शब्द आप को ट्विटर पर ट्रोलिंग ट्विट्स और मेमे (मजाकिया क्वोट) मे देखने को मिलेगा । भारतीय राजनीति की मेहरबानी अब यह शब्द एक विशेष राजनीतिक सोच वाले लोगों के लिए एक संज्ञा की तौर पर काम करता है।
इस पोस्ट में हम जानेंगे की अंधभक्त किसे कहते हैं? उनके लक्षण और इलाज ।
अंधभक्त शब्द की व्याख्या | Andhbhakt Word Meaning?
अंधभक्त शब्द अंध और भक्त शब्दों के मिलाने से बनता है । अंधभक्त शब्द का सरल अर्थ अंधी भक्ति करने वाला होता है । इंग्लिश मे इससे Blind Devotee कहते है ।
अंधभक्त किसे कहते हैं ?
बिना सोचे समझे किसी चीज या व्यक्ति की भक्ति करने वाले को अंधभक्त कहते है ।
जानबूझकर तर्क के विरुद्ध विश्वास करने वाले को भी अंधभक्त कहते है । भारत मे इन्हे गोबरभक्त भी कहा जाता है । एक मेमे (andh bhakt meme) के अनुसार “अंधभक्त होना कोई मामूली काम नहीं , इसके लिए प्रचंड मूर्ख होना अनिवार्य है । ”
उदाहरण : एक अंधभक्त ने कोरोना से मरने वाले लोगों के मृतदेह के बारे मे कहा था : ” गंगा मे बहने वाली लाशे भारत की नहीं बल्कि नाइजीरिया की थी । ”
इस उदाहरण को पढ़ कर आप को हसी भी आई होगी और यह बात कहने वाले के अज्ञानता का अफसोस भी हुआ होगा । इस तरह के कई उदाहरण आप को इंटरनेट और असली जिंदगी मे देखने को मिलेंगे। अंधभक्त मेमे को लोग बड़े मजे से बनाते और शेयर करते है । जहां इसे बनाने वाले इसे मजाक के तौर पर लेते है तो अंधभक्त इस से चिढ़ जाते है ।
अंधभक्त के लक्षण | Andhbhakt Ke Lakshan
अज्ञानता और हटधर्मिता अंधभक्त के लक्षण है । उन्हे तर्क और सच्चाई से कुछ लेना देना नहीं होता । झुंड मे वह हिंसक बन सकते है । वह किसी झुट को जिंदगीभर का सच मानकर दूसरों को जज करते रहते है ।
अंधभक्ति मे वह किसी विशेष व्यक्ति को अपना पिता और भगवान भी बना सकते है । हिंस्र होनेपर वह इंसानों के जान की कीमत भूल जाते है । और अपने विरोधियों का बिल्कुल सफाया करने की इच्छा जताते रहते है ।
अपने आका का कहा बिना सोचे समझे करना भी अंधभक्त के लक्षण है ।
लोग अंधभक्त क्यों बनते है ?
किसी चीज का डर, गलत साबित होने की शर्म या फिर अपने हटधर्मी आदत की वजह से लोग अंधभक्त बनते है । इनमे अक्सर लोग अज्ञानता की वजह से अंधभक्त बनते है । कुछ ताकतवर लोग अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर अज्ञान लोगों की अज्ञानता का फायदा उठाकर उन्हे अंधभक्त बना देते है ।
ताकतवर लोग किसी अतार्किक चीज का भय लोगों के मन मे बैठा देते है , और उनसे अतार्किक काम करा देते है लोग उनका बिना सोचे समझे विश्वास करते है और उन ताकतवर लोगों के अंधभक्त बन बैठते है ।
उदाहरण के तौरपर : अंधविश्वासी लोग बिल्ली के अपशकुन का भय लोगों के मन मे बैठा देते है और लोग भी बिल्ली के रास्ता काटने पर अपना रास्ता बदल लेते है ।
अंधभक्त हटधर्मी विचारों के होते है । वह अपने ही बनाए हुए विचारों के जाल मे सोचते और जीते रहते है । मिसाल की तौर पर कोई चोर अगर चोरी को पैशन बना ले और उसे नेक काम समझे तो उसे आप कैसे समझा सकते है ? इसी तरह अंधभक्त भी गलत काम को जी जान से नेक काम समझकर पैशन बना लेते है ।
अंधविश्वास से अंधभक्त का संबंध
अंधविश्वासी भी एक तरह का अंधभक्त होता है । श्रद्धा और अंधविश्वास अलग-अलग चीजे है । लोग जब घोर अज्ञानता के साथ श्रद्धा रखना शुरू कर देते है तो अंधविश्वासी बन जाते है । इसी तरह अज्ञानता के साथ लोग जब किसी चीज या व्यक्ति के ऊपर श्रद्धा रखना शुरू करते है , और बिना सोचे समझे उसपर विश्वास करते है और उसके कहे को मानते है तो वह अंधभक्त बन जाते है ।
अंधविश्वास को ज्ञान के रौशनी से दूर किया जा सकता है । अंधभक्ति को दूर करने के लिए अंधी श्रद्धा और विश्वास दोनों को टूटना पड़ता है । तर्क को मानकर अंधभक्ति से छुटकारा मिल सकता है । जो बेचारे तर्क को समझने मे असमर्थ होते है वह अंत तक अंधभक्त बने रहते है ।
अंध भक्तों के पापा को सत्ता से हटा कर, जहरीले मीडिया से दूरी, तर्क संगत लोगों से संबंध स्थापित कर अंध भक्तों का इलाज किया जा सकता है । जो की फिलहाल तो बहुत मुश्किल काम है ।
राजनीतिक अंधभक्त
राजनीति विशेष विचारधाराओ पर चलती है । यह विचारधाराये एक दूसरे को गलत साबित करने से ही जीवित रह सकती है । लेकिन कभी कभी यह विचारधाराये अतार्किक नफरत, बेतुकी, मनघड़त बातों और झुटे सम्मान के बुनियाद पर चलती है । ऐसा होने पर लोग बिना सोचे समझे जाहिल विचारधाराओ के पीछे चलने वाले राजनीतिक अंधभक्त बन जाते है ।
हिटलर ने यहूदियों की नफरत और झुटा डर जर्मन लोगों के दिल मे बैठाकर नाजी विचारधारा को जन्म दिया । लोगों को नाजी विचारधारा के जरिए श्रेष्ट बनाने का सपना दिखाया और उन्हे अंध भक्त बना दिया । फिर हिटलर के अंधभक्त हर सही गलत के ऊपर आखे बंद कर विश्वास करने लगे । यह इतना बुरा था की उन्हे अंधभक्ति के चश्मे से यहूदियों का नरसंहार भी सही लगने लगा।
21वी सदीके अंधभक्त कौन है ?
अंधभक्त हर एक देश मे पाए जाते है । 21वी सदी मे विज्ञान ने बहुत तरक्की की है । इस वजह से अकसर लोग पढे लिखे होते है और सोच समझकर किसी चीज को फॉलो करते है । लेकिन अंधविश्वासी बाते भी विज्ञान की वजह से लोगों तक बहुत तेजी से पहुच जाती है । लोग पढे लिखे होने के बावजूद सही गलत मे फर्क नहीं कर पाते । जैसे की व्हाट्सएप और सोशल मीडिया पर फैलने वाले स्पैम और फेक न्यूज और तथ्य ।
इस सदी मे अंधभक्ति बहुत खतरनाक है क्योंकि यह बहुत तेजी से फैलती है । लोग कुछ समझ पाए इस से पहले मोबलींचीग और फसाद जैसे हादसे हो जाते है । लोग बुनियादी सुविधाओ के बजाय खोकले सम्मान और शान के खातिर अपना जान और माल खर्च करते है । इंसानों के जान का महत्व लोग भूल जाते है । आतंकवादी और अतिवादी घटनाए आम हो जाती है ।
निष्कर्ष
अंधभक्त किसे कहते हैं? जानने के बाद आप समझ ही गए होंगे की अंधभक्ति व्यक्तिगत तौरपर कुछ खास तवज्जो देने काबिल नहीं होती , लेकिन जब यह समाज मे बहुत तेजी से फैलती है तो सामाजिक ढ़ाचे को अंधा , गूंगा और बहरा बना देती है । यह इतनी बुरी इसलिए है क्योंकि अगर अंधभक्त इस वजह से अपना घर भी जला ले तब भी उसे इसका एहसास नहीं होता । अंधभक्ति के नुकसान से देश और समाज को बचाने के लिए जागरण और बहुत एफर्ट्स की जरूरत है । नहीं तो यह समाज और देश को दशकों पीछे धकेलने मे काफी होती है ।