भारत में ऑनलाइन प्राइवसी कैसे मजाक बनती जा रही है ।

पिछले कुछ वर्षों में हमारे देश ने बेहत तेजी के साथ आईटी सेक्टर मे तरक्की की है । और यह तरक्की आगे भी ऐसे ही चलती रहेंगी । इस तरक्की का लाभ भारत के अकसरियत जनता को मिल रहा है । इस के फायदे में हम यह स्पष्ट रूप से देख सकते है के 4G-5G जैसी तकनीक आम आदमी के लिए आसानी से मुहाय्या हो रही है । लेकिन विचार करने की बात यह है की क्या हमे इस से सिर्फ फायदा ही पहुच रहा है ?

इस सवाल का जवाब स्पष्ट रूप से है, नहीं । इतने तेजी के साथ उन्नत तकनीक का इस्तेमाल और ऑनलाइन ऐक्टिविटी के चलते आम आदमी का बहुत कुछ दाव पर लगा हुआ होता है । इसमे सबसे ऊपर नंबर आता है हमारे “निजी जानकारी ” का । जी हाँ , जब जब हम ऑनलाइन होते है, तब तब हमारी प्राइवसी और प्राइवेट जानकारी दाव पर होती है ।

हम सोचते है के आखिर हमारे निजी जानकारी तथा प्राइवसी का उलंघन कर हमे क्या ही खतरा हो सकता है ? लेकिन ऐसा नहीं है । वक्त के साथ अगर हम इस बारे में सतर्क नहीं हुए तो आगे चलकर यह बड़ी मुसीबत बन सकता है । सबसे पहले हम इसके कुछ नुकसान और उदाहरण देखेंगे ,

ऑनलाइन प्राइवसी के खतरे

हमारी अनलाइन प्राइवसी पर हमला होने के सूरत मे इस के खतरे निर्माण होना शुरू हो जाते है ।

  • हमारी तस्वीरे लीक हो सकती है और उसका दुरुपयोग किया जा सकता है ।
  • हमारे ईमेल , नाम और जानकारी को हमारे इजाजत के बगैर बेचा जा सकता है ।
  • हमारे फॅमिली मेम्बर पर स्टाकींग की जा सकती है ।
  • हैकर को सोशल इंजीनियरिंग करने के लिए जरूरी जानकारी मिल जाती है ।
  • हम पर नजर रखने वाले हमारे दिनचर्या, लोकैशन और पर्सनल जानकारी जैसे बीमारी, बचपन के बारे मे जान सकते है ।
  • हम स्पैम कॉल और ईमेल से परेशान हो सकते है ।

ऊपर दिए गए खतरों में से कुछ का अनुभव हम मे से कई लोगों ने किया होगा । लेकिन हम भारतीय है के ज्यादातर इसकी परवाह नहीं करते । लेकिन जब हम खबरों में किसी लीक तथा scandel के बारे में पढ़ते है तो हमे इसके बारे मे फिक्र होती है । जब हम किसी अनलाइन फ्रॉड तथा चोरी के बारे मे सुनते है तो थोड़े सजग हो जाते है । सवाल यह खड़ा होता है के आखिर भारत में यह इतना आसान क्यों है ? और क्या भारत में प्राइवसी एक मज़ाक है !

कुछ महीनों पहले भारत सरकार ने पैन कार्ड को आधार से लिंक करने के लिए एक अभियान चलाया । लेकिन क्या आप जानते है इस अपडेट के नाम के नीचे कितने लोगों से ऑनलाइन फ्रॉड हो गया ?

नासिक के रहने वाले एक किसान के लड़के को कॉल आया -” नाम लेकर , आप का पैन कार्ड आधार से लिंक करने की समय सीमा खत्म हो रही है इस लिए यह काम आसान करने के लिए हम आप को एक लिंक भेज रहे है , आप उस लिंक द्वारा अपडेट कर ले ” । फिर उस लड़के के फोन पर एक मैसेज आता है और वह लड़का बिना सोचे समझे उस लिंक पर जाकर मांगी गई जानकारी फ़ीड करता है और ओके कर देता है ।

थोड़े ही देर मे उसे और एक मैसेज आता है के उसके कहते से कुछ लाख रुपये डिडक्ट हो गए है ।

अब वह दौड़ा-दौड़ा बैंक जाता है , और उसे पता चलता है के उसके साथ अनलाइन फ्रॉड हो गया है । बैंक वाले उसे थाने जाने के लिए कहते है और अकाउंट फ्रीज़ कर देते है ।

आज, थाने मे FIR डाले महीने हो गए है लेकिन न चोर का और न पैसे का कोई अता पता है ।

उस किसान के लड़के का सवाल यह है , उस फ्रॉड करने वाले को मेरा नाम और बैंक बैलन्स की और पैन लिंक नहीं होने की जानकारी किसने दी ?

क्या मेरे साथ यह मजाक हो गया है ?

लेखक के बारे में ,
लेखक हिंदी भाषा मे टेक्नोलॉजी,ऑटोमोटिव, बिजनेस, प्रोडक्ट रिव्यू, इतिहास, जीवन समस्या और बहुत सारे विषयों मे रचनात्मक सामग्री के निर्माता और प्रकाशक हैं। लेखक अपने ज्ञान द्वारा वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करना पसंद करते है। लेखक को Facebook और Twitter पर ????????फॉलो करे ।
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