एक समय की बात है। एक गाँव में एक हाथी प्रतिदिन नहाने के लिए गाँव के तालाब में जाता था। वह तालाब में डुबकी लगाकर लौटता था, रास्ते में एक दर्जी की दुकान पड़ती थी
हाथी प्रतिदिन तालाब से लौटते समय उस दर्जी की दुकान पर रुकता था। दर्जी उसे प्रतिदिन एक केला खिलाता था। केला खाकर हाथी घर चला जाता है
एक दिन जब हाथी तालाब से नहाकर घर आ रहा था तो वह हमेशा की तरह दर्जी की दुकान पर रुका, लेकिन उस दिन दर्जी का मूड ठीक नहीं था।
उस दिन दर्जी ने उसे केला नहीं दिया। इसके बजाय दर्जी ने हाथी की सूंड में सुई चुभो दी। इससे हाथी को बहुत पीड़ा हुई और उसे दुःख भी हुआ। उस समय हाथी चला गया
रोज की तरह हाथी अगले दिन भी नहाने के लिए तालाब में गया. वहां से लौटते समय हाथी ने अपनी सूंड में मिट्टी भर ली और दर्जी की दुकान की ओर चल दिया।
जब वह दर्जी की दुकान पर पहुंचा तो उसने अपनी सूंड में भरी मिट्टी को दर्जी की दुकान पर टंगे कपड़ों पर डाल दिया। जिससे दर्जी के सिले हुए सारे कपड़े गंदे हो गए
यह सब देखकर दर्जी को बहुत दुःख हुआ और उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। इस प्रकार दर्जी को अपने किये हुए बुरे कर्म पर बहुत पश्चाताप हुआ। उसने हाथी से माफ़ी भी मांगी
नैतिक कहानी की शिक्षा : जो लोग दूसरों का बुरा करते हैं उनके साथ हमेशा बुरा होता है। इसलिए अच्छे कर्म करें और सुखी जीवन का आनंद लें